Kind attention :
1. Union Minister for Environment and Forest, New Delhi.
2. HE the Governor of Rajasthan / Hon'ble Chief Minister of Rajasthan.
3. The Chief Wildlife Warden, Rajasthan.
4. The Animal Welfare Board of India, Chennai.
JAIPUR: Gross neglect in caring of elephants was exposed on Wednesday here, when six mahouts were allegedly found carrying banned traditional goads, sharp-edged iron rods commonly known as ankush, while riding elephants in Amber locality of the city.
Wildlife activists, along with the representatives of Jaipur Association of Elephant Owner, s found the ankush, used to control' elephants while riding, with six mahouts, who were on their way back to Hathi Gaon' from the Amber fort.
"On a sudden check of elephant riders the ankush, which has been banned by the Rajasthan High Court, was found. We seized the goads and warned them to not to use it in the future, " said Naresh Kadyan, representative in India for International Organisation for Animal Protection, an NGO.
"We also sought support from the Association of Elephant Owners in Jaipur, " he said.
Ankush is banned as per Rajasthan High Court order passed last year on a PIL moved by Haryana-based Kadyan, also a founder of another NGO PFA' which works for animal protection.
Rasheed Khan, an elephant-owner who accompanied Kadyan, said though most of the riders use wooden stick instead of iron ankush which does not hurt the animal so much, some of the mahouts keep the traditional goad for emergency cases.
"We do monitor if any mahout uses the traditional ankush to drive the elephant but some riders say they prefer to carry it for emergency use. Six ankushes were seized on Wednesday while the elephants were being taken back from the Amber fort, " he said.
In Jaipur, 105 pachyderms are used for riding at Amber fort, Rasheed said. Out of 115 elephants, 51 have been shifted to Hathi Gaon, ', a government-sponsored project for housing of jumbos which is spread over 120 bighas having facilities of water, shed and also accommodation arrangement for mahouts near Kund in Amber. The responsibility for welfare of the elephants at the moment rests with the state department of tourism.
जयपà¥à¤° में परà¥à¤¯à¤Ÿà¤¨ के लिहाज से सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हाथी सवारी से रोजी-रोटी कमाने वाले हाथी मालिक अब अपने दायरे से बाहर जाकर नाजायज फायदा उठाने लगे हैं। आपराधिक शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ के इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कृतà¥à¤¯ में न केवल हाथी मालिक, बलà¥à¤•à¤¿ पशॠचिकितà¥à¤¸à¤• व बीमा कंपनी à¤à¤œà¥‡à¤‚ट à¤à¥€ शामिल हैं। हाथी सवारी में काम ली जाने वाली 44 नंबर की सदà¥à¤¦à¥€à¤• खान की हथिनी रूपा (मालती) को वन विà¤à¤¾à¤— के बोरà¥à¤¡ ने मेडिकली अनफिट करार दिया था। वरà¥à¤· 2005 में इस हथिनी बैन कर दिया गया था। रिपोरà¥à¤Ÿ में सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ लिखा था कि हथिनी आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• है और इसे कहीं à¤à¥€ लाने ले जाने के लिठकम से कम दो अतिरिकà¥à¤¤ महावतों को और लगाया जाà¤à¥¤ वरà¥à¤· 2011 में à¤à¥€ तीन पशॠचिकितà¥à¤¸à¤•à¥‹à¤‚ के बोरà¥à¤¡ ने इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की रिपोरà¥à¤Ÿ दी। घपला यह हà¥à¤† कि इसके कà¥à¤› दिन बाद ही पशà¥à¤§à¤¨ विकास के अधीन कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ डॉ. संजय वरà¥à¤®à¤¾ ने हाथी की चिकितà¥à¤¸à¤•à¥€à¤¯ जांच किठबिना ही उसे न केवल फिट का सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ दे दिया, बलà¥à¤•à¤¿ पशà¥à¤§à¤¨ विकास के लैटर पैड के बजाय पॉलीकà¥à¤²à¥€à¤¨à¤¿à¤• के फॉरà¥à¤®à¥‡à¤Ÿ पर पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पतà¥à¤° बना दिया। इस सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ को बनवाने में à¤à¤• इंशà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥‡à¤‚स कंपनी में सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‡à¤œà¤° बताने वाले मनीष गरà¥à¤— ने मदद की।
बिगड़ैल रूपा: 28 जनवरी, 2009 को रूपा ने लखमनी पर हमला किया था। इससे लखमनी के पांव पर गहरी चोट आई। रूपा का à¤à¥€ दांत टूट गया था। लखमनी के महावत मनॠके हाथ में à¤à¥€ चोट आई। 20 फरवरी को रूपा ने रानी पर हमला किया। रूपा पर सवार मेहमान घायल हो गठथे। महल अधीकà¥à¤·à¤• जफरउलà¥à¤²à¤¾à¤¹ खां के मà¥à¤¤à¤¾à¤¬à¤¿à¤• महावल à¤à¤• डॉकà¥à¤Ÿà¤° का सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ लाया था, हमने तीन डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ से पास कराने को कहकर उसे लौटा दिया। रूपा अà¤à¥€ आमेर महल में सवारी के लिठपà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤‚धित है।
यह किया घपला: वन विà¤à¤¾à¤— ने वनà¥à¤¯à¤œà¥€à¤µà¥‹à¤‚ की मेडिकली जांच के लिहाज से तीन डॉकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ का बोरà¥à¤¡ बनाया। इस बोरà¥à¤¡ की रिपोरà¥à¤Ÿ की अनदेखी कर डॉ. संजय वरà¥à¤®à¤¾ ने à¤à¤• माह बाद फिट का पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पतà¥à¤° दे दिया। यह बोरà¥à¤¡ सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ वैटरनरी पॉलीकà¥à¤²à¥€à¤¨à¤¿à¤• के सहायक निदेशक के अधीन था और उसी के नाम से बोरà¥à¤¡ ने पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पतà¥à¤° बनाया, जिस पर डिसà¥à¤ªà¥ˆà¤š नंबर à¤à¥€ था। डॉ. वरà¥à¤®à¤¾ ने à¤à¤¸à¤¾ ही खाली फॉरà¥à¤®à¥‡à¤Ÿ लेकर उस पर सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ बना दिया। पशà¥à¤§à¤¨ विकास के अधीन काम करने वाले वरà¥à¤®à¤¾ ने फरà¥à¤œà¥€à¤µà¤¾à¤¡à¤¼à¤¾ कर पोलीकà¥à¤²à¥€à¤¨à¤¿à¤• के फॉरà¥à¤®à¥‡à¤Ÿ पर पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ पतà¥à¤° बना दिया। इस पर कोई डिसà¥à¤ªà¥ˆà¤š नंबर à¤à¥€ नहीं था। वरà¥à¤®à¤¾ ने हाथी की जांच नहीं की, उसकी माइकà¥à¤°à¥‹à¤šà¤¿à¤ª को रीड नहीं किया, केवल देखा और मनीष गरà¥à¤— के कहने से ही चिप नंबर, लिंग, उमà¥à¤°, रंग, ऊंचाई आदि सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ पर अंकित कर दिया।
यह लिखा है तीन रिपोरà¥à¤Ÿà¥‹ में
7 मारà¥à¤š, 2011: वन विà¤à¤¾à¤— की ओर से नियà¥à¤•à¥à¤¤ 3 पशॠचिकितà¥à¤¸à¤•à¥‹à¤‚ के बोरà¥à¤¡ ने रिपोरà¥à¤Ÿ में लिखा कि यह हाथी अतà¥à¤¯à¤‚त आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• है। इसके वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° पर à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ नहीं किया जा सकता। कहीं ले जाते समय इसके साथ दो और महावत लगाठजाà¤à¤‚, ताकि अपà¥à¤°à¤¿à¤¯ घटना रोकी जा सके।
19 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 2011: डॉ. संजय वरà¥à¤®à¤¾ ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ ही इस हाथी को देखकर लिख दिया, मेरी दृषà¥à¤Ÿà¤¿ में यह हाथी पूरà¥à¤£à¤¤: सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ है, जैसा कि उनकी जांच में सामने आया। यह रिपोरà¥à¤Ÿ फरà¥à¤œà¥€ तरीके से उस फॉरà¥à¤®à¥‡à¤Ÿ पर दे दी, जिसके लिठवे अधिकृत ही नहीं थे।
28 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 2011: 9 दिन बाद बोरà¥à¤¡ ने फिर इस हाथी को अनफिट करार दिया। रिपोरà¥à¤Ÿ में लिखा, हाथी अतà¥à¤¯à¤‚त आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का है। यह कब कैसा वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° करेगा, à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ नहीं किया जा सकता। इसके साथ कम से कम दो अतिरिकà¥à¤¤ महावत होना जरूरी है।
‘à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‡à¤œà¤° ने कहा था’ - डॉ. वरà¥à¤®à¤¾ से सवाल जवाब
किस आधार पर पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£-पतà¥à¤° बनाया?
- हाथी आमेर से पॉलीकà¥à¤²à¥€à¤¨à¤¿à¤• तक चलकर आया और सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ लग रहा था, मैंने à¤à¥€ उसे फिट का सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ दे दिया।
कà¥à¤¯à¤¾ आपने माइकà¥à¤°à¥‹à¤šà¤¿à¤ª रीड की?
- नहीं।
तो आपने उसका नंबर और अनà¥à¤¯ जानकारी कैसे लिख दी?
- मनीष गरà¥à¤— इंशà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥‡à¤‚स कंपनी में काम करते हैं, वे गलत कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बताà¤à¤‚गे, मैंने उनके कहने पर यह सब पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤ªà¤¤à¥à¤° में à¤à¤° दिया।
आप किस विà¤à¤¾à¤— के अधीन हैं?
- पशà¥à¤§à¤¨ विकास के।
फिर आपने सहायक निदेशक सà¥à¤Ÿà¥‡à¤Ÿ वैटरनरी पॉलीकà¥à¤²à¥€à¤¨à¤¿à¤• के हैड से पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£-पतà¥à¤° पर हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° कर सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ कैसे दे दिया?
- सरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤•à¥‡à¤Ÿ पर मैंने अपनी सील अलग से लगाकर हसà¥à¤¤à¤¾à¤•à¥à¤·à¤° किà¤à¥¤ सोचा कि वह फॉरà¥à¤®à¥‡à¤Ÿ था तो उसी पर बना दिया। मà¥à¤à¥‡ तो इंशà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥‡à¤‚स à¤à¤¡à¤µà¤¾à¤‡à¤œà¤° ने कहा कि इसका इंशà¥à¤¯à¥‹à¤°à¥‡à¤‚स करना है।
Copy to :
Hon'ble Chief Justice, Rajasthan High Court - Jaipur Bench.
Naresh Kadyan,
Petitioner of PIL No. 8987 / 2006,
Founder Chairman, People for Animals ( PFA ) Haryana,
Representative of the International Organisation for Animal Protection - OIPA in India,
Master Trainer to the Animal Welfare Board of India ( Govt. of India ), C-38, Rose Apartment, Delhi - 110085.
+91-9813010595.
email > [email protected] <